योजना का शुभारंभ 13 सितम्बर 2020 को शिक्षाविद् व समाजसेवी श्री निर्मल गहलोत द्वारा दो करोड़ की राशि के सहयोग से निर्मल आत्मनिर्भर ऋण योजना-समिति के माध्यम से किया गया है। यह राशि योजना के तहत कुल 2 करोड़ रुपए की राशि  ऋण के रूप में वितरित की जाएगी।

योजना के उद्देश्य

  • यह योजना पूरी तरह से जन-कल्याण और सेवा-भाव पर आधारित है।
  • इसका एकमात्र उद्देश्य कोरोना महामारी /अन्य आर्थिक संकट से सबसे अधिक प्रभावित लोगों की आजीविका को पुनः पटरी पर लाना है ताकि वे स्वाभिमान के साथ आत्मनिर्भर होकर समाज में हमारे साथ रह सकें।
  • हम जिस समाज में रहते हैं और जिस समाज ने हमें बनाया, उस समाज के प्रति हमारे भी नैतिक और सामाजिक दायित्व हैं। विशेषकर तब जब आप इस रूप में स्वयं को सक्षम पाते हैं कि आप समाज के जरूरतमंद लोगों के लिए कुछ कर सकते हैं। बस, इसी सोच को कार्यरूप देने के प्रतिफल के रूप में यह योजना शुरू की गई है।
  • इस योजना को शुरू करने के पीछे आर्थिक लाभ की कोई मंशा नहीं है, यही कारण है कि इस योजना में ऐसी कोई शर्त नहीं है जिससे किसी लाभान्वित व्यक्ति पर एक रुपए का भी अतिरिक्त बोझ पड़े। ऋण लेने वाले व्यक्ति को अंततः उतनी ही राशि वापस करनी है जितनी राशि उन्होंने ऋण के रूप में ली थी।

ब्याज दर

मात्र 5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर पर ऋण सुविधा

ब्याज की राशि ऋण का भुगतान होने पर
आवेदक को लौटा दी जायेगी।

प्रोसेसिंग शुुल्क

किसी भी प्रकार का कोई प्रोसेसिंग शुल्क नहीं लिया जायेगा।

प्रतिभूति/गारन्टी

किसी भी प्रकार के गारन्टर की आवश्यकता नहीं है तथा न ही किसी प्रकार की कोई प्रतिभूति अमानत के तौर पर रखने की जरूरत है।

समयपूर्व भुगतान

समयपूर्व भुगतान करने पर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जायेगा।

ऋण के लिए पात्रता

आर्थिक रूप से कमजोर कोई भी व्यक्ति जो अपना व्यवसाय शुरू करना चाहता है, या अपने मौजूदा कारोबार को आगे बढ़ाना चाहता है वह ‘निर्मल आत्मनिर्भर ऋण योजना’ के तहत 50,000 तक के लोन के लिए आवेदन कर सकता है।


आवेदक का जोधपुर नगर निगम क्षेत्र का मूल निवासी होना आवश्यक है।

इस योजना के अंतर्गत दैनिक रूप से छोटी-मोटी आय अर्जित करके अपनी आजीविका चलाने वाले आम लोगों को ऋण देने का लक्ष्य रखा गया है जो निम्नलिखित श्रेणी के होंगे:

  • रेहड़ी-पटरी लगाने वाले
  • सब्जी-फल बेचने वाले
  • दैनिक उपभोग का छोटा-मोटा सामान बेचने वाले
  • गोलगप्पे, चाट आदि की दुकान चलाने वाले
  • पंचर की दुकान, सैलून आदि चलाने वाले
  • रिक्शा, ठेला चलाकर अपना भरण-पोषण करने वाले
  • शहर में घूम-घूमकर सामान बेचने वाले
  • खिलौने, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले
  • अन्य छोटे-मोटे रोजगार करने वाले आदि।
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आवेदन पत्र